बकस्वाहा जंगल से पेड़ ना काटा जाए इसके लिए कई आंदोलन धरना प्रदर्शन सत्याग्रह चलाए जा रहे हैं जबकि खबर यह है अभी तक पर्यावरण स्वीकृति नहीं दी गई ऐसे में उनकी मांग कहां तक जायज है अगर बकस्वाहा में हीरे निकालने के लिए लाखो पेड़ों को काटने की सरकार पर्यावरण स्वीकृति देती है तब यह आंदोलन और मांग पर मैं पूर्ण रुप से समर्थन करूंगा फिलहाल मुझे यह सिर्फ लोगो को फोकस में आने की कहानी समझ में आ रहा है झांसी से खजुराहो फॉर लाइन निर्माण के दौरान भी पेड़ों को ना काटने के लिए कई आंदोलन किए गए थे लेकिन विचार करिए और बताइए कितने पेड़ बचा पाए बकस्वाहा जंगल में पेड़ों को काटने की अभी तक पर्यावरण स्वीकृति नहीं है कंपनी के पास फिर कैसे पेड़ काटेंगे बिना स्वीकृति के कंपनी की इतनी हिम्मत नहीं की ऑक्सीजन देने वाले लाखों पेड़ों को काटे और अगर सरकार पर्यावरण स्वीकृति कंपनी को डेट देती है फिर किसी में हिम्मत नहीं कि पेड़ों को कटने से बचा सके जैसा झांसी खजुराहो फोर लाइन निर्माण के दौरान देखने को मिला है !
मेरा उद्देश्य किसी के मन को ठेस पहुंचाना नहीं है आप लोगों का कहना सही है कि पेड़ काटने से ऑक्सीजन मैं कमी होगी लेकिन यह दूसरा पहलू भी देखिए सरकार ने अभी तक पर्यावरण स्वीकृति नहीं दी अगर पर्यावरण सुकृति कंपनी को मिल जाए और कंपनी के द्वारा पेड़ों को काटना शुरू कर दिया जाए तब यह मांग जायज है चिपको आंदोलन भी जायज है
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