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पत्रकारों की सुरक्षा,समाज और सरकार की जिम्मेदारी !


पत्रकार समाज का आईना होते हैं,जो घटनाओं,परिस्थितियों और मुद्दों को सामने लाते हैं। पत्रकारों का काम केवल खबरों का संकलन और प्रसारण नहीं होता,बल्कि समाज में जागरूकता और उत्तरदायित्व का निर्वहन भी करते हैं। पत्रकार समाज के मुद्दों को उजागर करते हैं और सरकार या अन्य शक्तिशाली संस्थाओं की जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं। इस कारण, पत्रकारों को अपनी स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए विभिन्न खतरों का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए,पत्रकारों की सुरक्षा लोकतंत्र के लिए एक जरूरी मुद्दा बन गया है।

पत्रकारों पर बढ़ते हमले और उत्पीड़न

देश में पत्रकारों को अपने काम की कीमत अपनी जान से चुकानी पड़ती है। विशेष रूप से उन पत्रकारों को, जो भ्रष्टाचार, काले धन, राजनीतिक असंतुलन, या सामाजिक असमानता के मुद्दों पर रिपोर्टिंग करते हैं, लगातार धमकियों, हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। कई पत्रकारों को अपने जानमाल की सुरक्षा के लिए डर के वातावरण में काम करना पड़ता है। रिपोर्टर और पत्रकार अक्सर अपनी आवाज़ उठाने के कारण शक्तिशाली समूहों का निशाना बनते हैं

कानूनी सुरक्षा का अभाव

जहां एक ओर पत्रकार स्वतंत्रता और निष्पक्षता के साथ अपनी रिपोर्टिंग करते हैं, वहीं दूसरी ओर उनकी सुरक्षा के मामले में अक्सर राज्य या शासन तंत्र द्वारा लापरवाही बरती जाती है। कई बार उन्हें उन लोगों से धमकियां मिलती हैं, जिनके खिलाफ वे काम करते हैं, और सरकारी सुरक्षा की व्यवस्था का भी अभाव होता है। विशेष रूप से क्षेत्रीय पत्रकारों को अपनी रिपोर्टिंग के दौरान बड़े खतरे का सामना करना पड़ता है, और उन्हें सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होती।

समाज और सरकार की जिम्मेदारी

पत्रकारों की सुरक्षा केवल उनकी जिम्मेदारी नहीं है; यह समाज और सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है। सबसे पहले, सरकार को पत्रकारों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। पत्रकारों के खिलाफ हो रही हिंसा या हमलों के मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसके अलावा, मीडिया संगठनों को भी अपनी भूमिका निभानी चाहिए। 

सामाजिक संगठनों का योगदान

सामाजिक संगठनों को चाहिए कि वे पत्रकारों को जोखिमपूर्ण कार्यों के लिए उचित सुरक्षा की मांग करें। साथ ही, उन्हें उन क्षेत्रों में काम करने के लिए प्रोत्साहित करें, जहां जोखिम अधिक हो। जब पत्रकार किसी संकट या संघर्ष क्षेत्र में काम करते हैं, तो उन्हें शारीरिक और मानसिक सुरक्षा दोनों की आवश्यकता होती है। पत्रकारों की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा पर ध्यान देना, उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें सुरक्षित रूप से अपने काम को करने की शक्ति देता है।

जनता का समर्थन

पत्रकारों की सुरक्षा केवल मीडिया और सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज को भी इस मुद्दे पर जागरूक और संवेदनशील बनना चाहिए। जब समाज पत्रकारों का समर्थन करता है और उनके काम की सराहना करता है, तो यह न केवल उनके मनोबल को बढ़ाता है, बल्कि उन लोगों के खिलाफ भी एक संदेश भेजता है जो पत्रकारों को डराने-धमकाने की कोशिश करते हैं। पत्रकारों के प्रति समाज का समर्थन लोकतंत्र को मजबूत करता है और स्वतंत्र मीडिया के महत्त्व को उजागर करता है।

निष्कर्ष

पत्रकारों की सुरक्षा लोकतंत्र के हित में है। जब पत्रकार सुरक्षित रहते हैं, तब वे बिना किसी डर के अपने कार्यों को निष्पक्षता और ईमानदारी से पूरा कर सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि सरकार, मीडिया संगठनों, समाज और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को मिलकर पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। पत्रकारों की स्वतंत्रता की रक्षा करना सिर्फ उनके अधिकारों की रक्षा करना नहीं, बल्कि पूरे समाज के सूचना अधिकार की रक्षा करना है।


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